पेट के कीड़े पशु के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकते हैं और उनकी उत्पादकता को प्रभावित कर सकते हैं। पेट के कीड़ों के प्रभाव से पशु की पाचन क्रिया, शारीरिक स्थिति, और दूध उत्पादन पर बुरा असर पड़ सकता है। अगर समय रहते इस समस्या का समाधान न किया जाए, तो यह पशु के लिए गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है। पेट के कीड़ों की पहचान के लिए निम्नलिखित आठ लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए:
पशु की चमड़ी खुरदुरी व रूखी-सुखी होगी: पेट में कीड़ों की समस्या होने पर पशु की त्वचा पर खुरदरापन और सूखापन देखने को मिलता है। चमड़ी का यह बदलना शरीर में पोषण की कमी का संकेत हो सकता है, जो पेट के कीड़ों के कारण हो रहा होता है। जब पेट में कीड़े होते हैं, तो पशु के शरीर का पोषण अवशोषण ठीक से नहीं हो पाता, जिससे उसकी चमड़ी खुरदुरी और सूखी हो जाती है।
पशु खाना-पीना और जुगाली कम करेगा: पेट में कीड़े होने पर पशु का पाचन तंत्र प्रभावित होता है, जिससे वह कम खाना और पीना करने लगता है। यह तब होता है जब पेट के कीड़े भोजन को ठीक से पचाने और अवशोषित करने में बाधा डालते हैं। साथ ही, जुगाली (खाना फिर से चबाना) में भी कमी आती है, क्योंकि पशु का पेट सही तरीके से कार्य नहीं कर पा रहा होता।
पशु के गोबर या जुगाली में बदबू आना: पेट के कीड़ों के कारण पशु के पाचन में अव्यवस्था उत्पन्न हो जाती है, जिसके परिणामस्वरूप गोबर और जुगाली में असामान्य बदबू आ सकती है। यह बदबू आमतौर पर उस स्थिति को दर्शाती है जब पेट में सही से खाद्य पदार्थ पच नहीं पा रहे होते और अवशेषों से गंध आ रही होती है।
पशु की आँखों से पानी व सफ़ेद सा कीचड़ आना: पेट के कीड़ों के कारण पशु की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है, जिससे संक्रमण या एलर्जी हो सकती है। इसका असर आंखों पर भी पड़ता है, और आँखों से पानी और सफेद कीचड़ जैसा पदार्थ निकलने लगता है। यह एक सामान्य लक्षण है जो पेट में कीड़े होने पर देखा जाता है।
पशु के जबड़े के नीचे सूजन होना: पेट में कीड़े होने के कारण पेट में अपच और पाचन संबंधी समस्याएं उत्पन्न होती हैं, जिससे शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव हो सकता है। यह जमाव अक्सर पशु के शरीर के निचले हिस्से, जैसे कि जबड़े के नीचे सूजन के रूप में प्रकट होता है। यह सूजन दिखाती है कि शरीर में विषाक्तता बढ़ रही है।
पशु को बार-बार दस्त, कब्ज़ या अफारा आना: पेट के कीड़े पशु के पाचन तंत्र को अत्यधिक प्रभावित करते हैं, जिससे पशु को बार-बार दस्त, कब्ज़ (constipation), या अफारा (abdominal bloating) जैसी समस्याएं हो सकती हैं। ये लक्षण बताते हैं कि पेट में कीड़े पाचन प्रक्रिया में रुकावट डाल रहे हैं, जिसके कारण आंतों में गड़बड़ी हो रही है।
पशु का अखाद्य पदार्थ खाना (मिट्टी, कागज, प्लास्टिक, मलमूत्र, कंकड़ पत्थर आदि): जब पेट में कीड़े होते हैं, तो पशु का शरीर पोषक तत्वों की कमी महसूस करता है, और वह सामान्य आहार के अलावा अन्य अखाद्य पदार्थों को खाने की कोशिश करता है। यह स्थिति पिका (Pica) के रूप में जानी जाती है, जिसमें पशु मिट्टी, कागज, प्लास्टिक, मलमूत्र, कंकड़ पत्थर, आदि खाते हैं, क्योंकि उनके शरीर को पोषण की कमी महसूस हो रही होती है।
पशु के गोबर में कीड़े या अंडे आना: पेट के कीड़े की पहचान का सबसे स्पष्ट तरीका है गोबर में कीड़े या उनके अंडे देखना। यदि पशु के गोबर में छोटे कीड़े या उनके अंडे दिखाई देते हैं, तो यह स्पष्ट संकेत है कि पेट में कीड़े हैं। यह समस्या आमतौर पर गंभीर हो सकती है और तुरंत उपचार की आवश्यकता होती है।
पेट के कीड़ों का प्रभाव: वैज्ञानिकों के अनुसार, पेट के कीड़े पशु द्वारा खाए गए आहार का 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा खा जाते हैं, जिसके कारण पशु को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता। इससे पशु में कमजोरी, थकान, और रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी आती है। इसके अलावा, प्रजनन क्षमता पर भी असर पड़ता है, जिससे पशुओं में बांझपन जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
कीड़ों से बचाव और उपचार: पेट के कीड़ों से पशु को बचाने के लिए, वैज्ञानिकों और पशुपालकों का मानना है कि हर तीन महीने बाद पशु को कीड़े मारने की दवाई दी जानी चाहिए। यह दवाई पेट के कीड़ों को मारने और उनके प्रभाव को खत्म करने में मदद करती है, जिससे पशु की सेहत में सुधार आता है और वह सही तरीके से पोषक तत्वों को अवशोषित कर पाता है।
इस प्रकार, यदि इन आठ लक्षणों में से कोई भी लक्षण आपके पशु में दिखाई दे, तो यह पेट के कीड़ों की समस्या का संकेत हो सकता है, और आपको तुरंत कीड़े मारने की दवाई देना चाहिए। समय पर उपचार न करने से पशु की सेहत और उत्पादकता पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।
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