माँ का पहला दूध, जिसे “खीस” भी कहा जाता है, नवजात बच्चे के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसमें कई पोषक तत्व और रोग प्रतिरोधक तत्व होते हैं जो बच्चे के शुरुआती जीवन में उसकी सेहत और विकास में अहम भूमिका निभाते हैं। नीचे इसे विस्तार से समझाया गया है:
पोषण से भरपूर
माँ के पहले दूध में सामान्य दूध की तुलना में प्रोटीन की मात्रा 4-5 गुना अधिक होती है। इसके साथ ही, विटामिन ए की मात्रा 10 गुना ज्यादा होती है। यह पोषण बच्चे की शारीरिक और मानसिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। विटामिन ए आँखों की रोशनी को बेहतर बनाता है और रोगों से बचाने में मदद करता है, जबकि प्रोटीन बच्चे की मांसपेशियों और अंगों को मजबूत बनाता है।
प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ावा
खीस में प्राकृतिक रोग प्रतिरोधक तत्व होते हैं जो नवजात के शरीर को संक्रमण और बीमारियों से बचाने में मदद करते हैं। यह बच्चे को प्रारंभिक जीवन में होने वाले बैक्टीरियल और वायरल संक्रमण से सुरक्षा प्रदान करता है।
मात्रा का ध्यान
नवजात बच्चे को उसके वजन के दसवें भाग के बराबर माँ का पहला दूध पिलाना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, यदि बच्चे का वजन 30 किलोग्राम है, तो उसे 3 किलोग्राम खीस 2-3 बार में, ब्याने के 4-5 घंटों के भीतर अवश्य पिलाना चाहिए।
समय पर पिलाना क्यों जरूरी है?
खीस को बच्चे के लिए “अमृत” माना गया है, क्योंकि यह शुरुआती घंटों में बच्चे के लिए सर्वोत्तम पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है। अगर इसे सही समय पर नहीं पिलाया गया, तो बच्चे का शरीर संक्रमण के प्रति कमजोर हो सकता है और उसके विकास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
स्वास्थ्य और रोगों से बचाव
खीस में मौजूद पोषक तत्व बच्चे के संपूर्ण स्वास्थ्य और विकास के लिए जरूरी हैं। यह उसे रोगों से बचाता है और उसकी शारीरिक प्रणाली को मजबूत करता है।
इसलिए, पशु के बच्चे के स्वास्थ्य और सही विकास के लिए ब्याने के 4-5 घंटों के भीतर माँ का पहला दूध अवश्य पिलाएँ। यह आपके पशु की अगली पीढ़ी को स्वस्थ और मजबूत बनाए रखने में मदद करेगा।
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